क्या होता है 'डिजिटल अरेस्ट' फ्रॉड? फर्जी पुलिस और CBI अधिकारियों को लेकर MHA ने जारी किया अलर्ट
Digital Arrest Fraud: धोखेबाज आमतौर पर लोगों को कॉल करते हैं और कहते हैं कि उन्होने ने कोई पार्सल भेजा है या प्राप्त किया है, जिसमें अवैध सामान, ड्रग्स, नकली पासपोर्ट या कोई अन्य प्रतिबंधित वस्तु है.
(Source: Reuters)
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Digital Arrest: ऐसी कई घटनाएं सामने आई हैं, जहां साइबर अपराधी खुद को पुलिस, CBI या कोई अन्य जांच एजेंसी का अधिकारी बताकर धमकी देते हैं और ब्लैकमेल किया जाता है. जबरन वसूली और डिजिटल अरेस्ट जैसी वारदातें भी दर्ज की जा रही हैं.गृह मंत्रालय का कहना है कि ऐसा माना जाता है कि इसे सीमा पार आपराधिक सिंडिकेट द्वारा संचालित किया जाता है. ये जालसाज पुलिस स्टेशनों और सरकारी कार्यालयों की तर्ज पर बनाए गए स्टूडियो का उपयोग करने में माहिर होते हैं और असली दिखने के लिए वर्दी पहनते हैं.
1000 से अधिक आईडी किए गए ब्लॉक
ऐसी गतिविधियों में शामिल 1,000 से अधिक स्काइप आईडी को ब्लॉक कर दिया है. धोखेबाजों द्वारा उपयोग किए जाने वाले सिम कार्ड, मोबाइल उपकरणों और खातों को भी ब्लॉक किया जा रहा है.
कहां कर सकते हैं शिकायत?
गृह मंत्रालय ने नागरिकों को इस प्रकार की जालसाज़ी से सावधान रहने और इनके बारे में जागरुकता फैलाने की सलाह दी है. ऐसी कॉल आने पर नागरिकों को तत्काल साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 या www.cybercrime.gov.in पर सहायता के लिए रिपोर्ट करना चाहिए.
कैसे बनाते हैं शिकार?
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गृह मंत्रालय के मुताबिक धोखेबाज आमतौर पर लोगों को कॉल करते हैं और कहते हैं कि उन्होने ने कोई पार्सल भेजा है या प्राप्त किया है, जिसमें अवैध सामान, ड्रग्स, नकली पासपोर्ट या कोई अन्य प्रतिबंधित वस्तु है. कभी-कभी, वे यह भी सूचित करते हैं कि पीड़ित का कोई करीबी या प्रिय व्यक्ति किसी अपराध या दुर्घटना में शामिल पाया गया है और उनकी हिरासत में है.
ऐसे कथित केस में समझौता करने के लिए पैसे की मांग की जाती है. कुछ मामलों में, पीड़ितों को डिजिटल अरेस्ट का सामना करना पड़ता है. मांग पूरी न होने तक पीड़ित को स्काइप या अन्य वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग प्लेटफॉर्म पर धोखेबाजों के लिए उपलब्ध रहने पर मजबूर किया जाता है.
अपराधियों ने कई लोगों को बनाया निशाना
देशभर में कई पीड़ितों ने ऐसे अपराधियों के जाल में फंसकर बड़ी मात्रा में धन गंवाया है. यह एक संगठित ऑनलाइन आर्थिक अपराध है. गृह मंत्रालय के तहत भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C), देश में साइबर अपराध से निपटने से संबंधित गतिविधियों का समन्वय करता है.
गृह मंत्रालय साइबर अपराधों से निपटने के लिए अन्य मंत्रालयों और उनकी एजेंसियों, भारतीय रिजर्व बैंक और अन्य संगठनों के साथ मिलकर काम कर रहा है. I4C ऐसे मामलों की पहचान और जांच के लिए राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के पुलिस अधिकारियों को इनपुट और तकनीकी सहायता भी प्रदान कर रहा है.
I4C ने माइक्रोसॉफ्ट के सहयोग से ऐसी गतिविधियों में शामिल 1,000 से अधिक स्काइप आईडी को भी ब्लॉक कर दिया है. I4C ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'Cyberdost' पर इन्फोग्राफिक्स और वीडियो के माध्यम से विभिन्न अलर्ट भी जारी किए हैं.
09:06 PM IST